क्या आप भी एक फ्रीलांसर या कंसल्टेंट हैं? जानिए आपको कौन सा Form भरना चाहिए और कैसे फाइल करें ITR
Written By: अनुज मौर्या
Sat, Jun 29, 2024 12:43 PM IST
इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax Return) फाइल (ITR Filing) करने की आखिरी तारीख (ITR Filing Last Date) 31 जुलाई धीरे-धीरे नजदीक आ रही है. बहुत सारे लोग आईटीआर फाइल कर चुके हैं और बहुत से लोग अभी भी आईटीआर फाइल करने की सोच रहे हैं. अगर आप नौकरीपेशा हैं तब तो आप आसानी से आईटीआर भर लेते हैं, लेकिन अगर आपको फ्रीलांसिंग (ITR For Freelancer) से कमाई हुई है तो उसका क्या? आइए जानते हैं फ्रीलांसर और कंसल्टेंट कौन सा फॉर्म भरते हैं और कैसे फाइल करते हैं आईटीआर.
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फ्रीलांसिंग या कंसल्टेंट के आईटीआर में अलग क्या?
अगर आप फ्रीलांसिंग करते हैं या कंसल्टेंट हैं तो आप पर टैक्स एक नौकरीपेशा व्यक्ति पर लगने वाले टैक्स की तुलना में अलग तरीके से लगेगा. इसके चलते आप नौकरीपेशा लोगों की तरह आईटीआर-1 या आईटीआर-2 फॉर्म नहीं भर सकते हैं. ना ही आप नौकरीपेशा लोगों की तरह 50 हजार रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन का फायदा ले सकते हैं, क्योंकि उनकी इनकम सैलरी के रूप में उनके खाते में नहीं आती है. हालांकि, अपने खर्चों के हिसाब से आप कुछ डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं. एक बात और आपको पता होनी जरूरी है कि नौकरीपेशा की तरह आप हर साल टैक्स रिजीम नहीं चुन सकते हैं. ऐसे में पहले से ही अच्छे से सोच-समझ लें कि कहां फायदा है और कहां नहीं, उसके बाद ही टैक्स रिजीम सेलेक्ट करें.
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पहले जानिए क्या होता है टैक्स स्लैब
फ्रीलांसर या कंसल्टेंट के लिए भी टैक्स का वही स्लैब होता है जो एक नौकरी पेशा के लिए रहता है. यानी स्लैब में तो कोई फर्क नहीं है, लेकिन डिडक्शन दोनों के हिसाब से अलग-अलग हो सकते हैं. वहीं फ्रीलांसिंग या कंसल्टिंग से कमाई करने वाले को आईटीआर-3 फॉर्म भरना होता है. वहीं अगर आपने प्रीजम्पटिव स्कीम चुनी है तो आपको आईटीआर-4 फॉर्म (सुगम) भरना होगा. यह आईटीआर-3 की तुलना में बहुत आसान है, जिसमें आपको प्रॉफिट एंड लॉस और बैलेंस शीट की डिटेल्स भरनी पड़ती हैं. हालांकि, अगर कमाई 50 लाख रुपये से ज्यादा है और आप अपने नुकसान को कैरी फॉर्वर्ड करना चाहते हैं तो आईटीआर-3 फॉर्म ही भरना होगा.
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क्या होती है प्रीजम्पटिव टैक्सेशन स्कीम?
फ्रीलांसर और कंसल्टेंट इस स्कीम को चुन सकते हैं. इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 44एडीए के तहत प्रीजम्पटिव स्कीम ऐसे प्रोफेशनल्स के लिए है, जिन्हें वित्त वर्ष 2023-24 में 75 लाख रुपये से अधिक नहीं मिले हैं. इसके तहत ये प्रोफेशनल्स अपनी आय का 50 फीसदी यानी आधी इनकम को बिजनेस इनकम की तरह दिखा सकते हैं और फिर उसी के हिसाब से टैक्स कैल्कुलेशन होता है. अगर कोई फ्रीलांसर presumptive taxation को चुनता है तो वह कोई भी बिजनेस इनकम से जुड़ी हुई डिडक्शन क्लेम नहीं कर पाएगा.
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